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Wednesday, 1 June 2022

History of ASHOK SATAMBH

 

अशोक स्तंभ का इतिहास और इसके बारे में संपूर्ण जानकारी – All Information About Ashok Stambh In Hindi

History Of Ashok Stambh In Hindi : सम्राट अशोक मौर्य वंश (Maurya Dynasty) का तीसरे शासक थे और प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। उसने 273 ई.पू. से 232 ई.पू. भारत में शासन किया। अशोक के साम्राज्य में अधिकांश भारत, दक्षिण एशिया और उससे आगे, अब का अफगानिस्तान और पश्चिम में फारस के कुछ हिस्सों, पूर्व में बंगाल और असम और दक्षिण में मैसूर शामिल हुआ था। बौद्ध साहित्य में अशोक एक क्रूर और निर्दयी सम्राट बताया गया है। लेकिन कलिंग के युद्ध के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण किया और धर्म के सिद्धांतों के प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अशोक ने देश के विभिन्न भागों में कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया। इनमें से एक स्तंभ जो सारनाथ में स्थित है, उसको भारत के राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) के रुप में अपनाया गया है।

इस लेख में हम आपको अशोक स्तंभ का इतिहास, महत्व और इससे जुडी अन्य जानकारी से अवगत कराने वाले है इसीलिए अशोक स्तंभ के बारे में जानने के इस लेख को पूरा पढ़े –

. अशोक स्तंभ का इतिहास – History Of Ashok Stambh In Hindi

अशोक स्तंभ का इतिहास - History Of Ashok Stambh In Hindi
Image Source: Wikipedia

बौद्ध धर्म का अनुयायी (Buddhist) बनने के बाद सम्राट अशोक ने भारत के अलावा बाहर के देशों में भी बौद्ध धर्म का प्रचार करवाया। उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्रीलंका भेजा था। अशोक ने तीन वर्ष में चौरासी हजार स्तूपों का निर्माण कराया और भारत के कई स्थानों पर उसने स्तंभ भी निर्मित करवाया। अपनी विशिष्ट मूर्तिकला के कारण ये स्तंभ सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए। वास्तव में सारनाथ का स्तंभ धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना का एक स्मारक था और धर्मसंघ की अक्षुण्णता (Intactness) को बनाए रखने के लिए इसकी स्थापना की गई थी।

2. कैसे बनाया गया अशोक का स्तंभ – Ashok Stambh Kaise Banaya Gaya In Hindi

सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ को चुनार के बलुआ पत्थर (Sandstone) के लगभग 45 फुट लंबे प्रस्तरखंड से निर्मित किया गया था। धरती में गड़े हुए आधार को छोड़कर इसका दंड गोलाकार है, जो ऊपर की ओर क्रमश: पतला होता जाता है। दंड के ऊपर इसका कंठ और कंठ के ऊपर शीर्ष है। कंठ के नीचे प्रलंबित दलोंवाला उलटा कमल है। गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में विभक्त है। उनमें क्रमश: हाथी, घोड़ा, सांड़ तथा शेर की सजीव प्रतिकृतियाँ उभरी हुई है। कंठ के ऊपर शीर्ष में चार शेर की मूर्तियां हैं जो पीठ से एक दूसरी से जुड़ी हुई हैं। इन चारों के बीच में एक छोटा दंड था जो 32 तिल्लियों वाले धर्मचक्र को धारण करता था, जो भगवान बुद्ध के 32 महापुरूष लक्षणों के प्रतीक स्वरूप था। अपने मूर्तन और पालिश की दृष्टि से यह स्तंभ अद्भुत है। इस समय स्तंभ का निचला भाग अपने मूल स्थान में है। धर्मचक्र(Dharmachakra) के केवल कुछ ही टुकड़े उपलब्ध हुए।

3. अशोक स्तंभ में शेरों का महत्व – Importance Of Ashok Stambh Lions In Hindi

अशोक स्तंभ में शेरों का महत्व - Importance Of Ashok Stambh Lions In Hindi
Image Source: Wikipedia

बौद्ध धर्म में शेर को बुद्ध का पर्याय माना गया है। बुद्ध के पर्यायवाची शब्दों में शाक्यसिंह और नरसिंह शामिल हैं। यह हमें पालि गाथाओं में मिलता है। इसी कारण बुद्ध द्वारा उपदेशित धम्मचक्कप्पवत्तन (Dhammacakkappavattana) सुत्त को बुद्ध की सिंहगर्जना कहा गया है।

ये दहाड़ते हुए सिंह धम्म चक्कप्पवत्तन के रूप में दृष्टिमान हैं। बुद्ध को ज्ञान प्राप्त होने के बाद भिक्षुओं(Monks) ने चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण हेतु बहुजन हिताय बहुजन सुखाय का आदेश इसिपतन (मृगदाव) में दिया था, जो आज सारनाथ के नाम से विश्विविख्यात है। इसलिए यहाँ पर मौर्य काल के तीसरे सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र चक्रवर्ती अशोक महान ने स्तंभ के चारों दिशाओं में सिंह गर्जना करते हुए शेरों (Roaring Lion) को बनवाया था। इसे ही वर्तमान में अशोक स्तम्भ के नाम से जाना जाता है।

4. भारत में अशोक स्तंभ कहां कहां स्थित है – Where Is Ashok Stambh In India In Hindi

जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि सम्राट अशोक ने  भारत के विभिन्न हिस्सों में बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तंभों का निर्माण कराया और बुद्ध के उपदेशों को इन स्तंभों पर शिलालेख के रुप में उत्कीर्ण कराया। यहां हम आपको महान सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए कुछ मुख्य स्तंभों के बारे में बताने जा रहे हैं।

4.1 अशोक स्तंभ सारनाथ – Ashoka Pillar Sarnath In Hindi

अशोक स्तंभ सारनाथ - Ashoka Pillar Sarnath In Hindi
Image Source: Wiki

सम्राट अशोक का एक स्तंभ सारनाथ में स्थित है। जिसे अशोक ने 250 ईसा पूर्व में बनवाया था। सारनाथ का स्तंभ अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। सारनाथ स्थित इस स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं और सभी की पीठ एक दूसरे से सटी हुई है। सारनाथ के अशोक स्तंभ को भारत ने राष्ट्रीय प्रतीक के रुप में अपनाया है। इसके अलावा अशोक स्तंभ के निचले भाग में स्थित चक्र को भारतीय तिरंगे के मध्य भाग में रखा गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ सारनाथ संग्रहालय (Sarnath Museum) में रखा गया है। अशोक स्तंभ पर तीन लेख लिखे गए हैं जिनमें से पहला लेख अशोक के ही समय का है और ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। जबकि दूसरा लेख कुषाण काल एवं तीसरा लेख गुप्त काल का है।

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4.2 अशोक स्तंभ इलाहाबाद – Ashoka Pillar Allahabad In Hindi

अशोक स्तंभ इलाहाबाद - Ashoka Pillar Allahabad In Hindi
Image Source: Wikipedia

यह स्तंभ इलाहाबाद किले (Allahabad Fort) के बाहर स्थित है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में सम्राट अकबर द्वारा कराया गया था। अशोक स्तंभ के बाहरी हिस्से में ब्राह्मी लिपि में अशोक के अभिलेख लिखे हैं। 200 ई. में समुद्रगुप्त अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) को कौशाम्बी से प्रयाग लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर खुदवाया गया। इसके बाद 1605 ई. में इस स्तम्भ पर मुगल सम्राट जहाँगीर के तख्त पर बैठने की कहानी भी इलाहाबाद स्थित अशोक स्तंभ पर उत्कीर्ण है। माना जाता है कि 1800 ई. में स्तंभ को गिरा दिया गया था लेकिन 1838 में अंग्रेजों ने इसे फिर से खड़ा करा दिया।

4.3 अशोक स्तंभ वैशाली – The Ashoka Pillar Vaishali In Hindi

अशोक स्तंभ वैशाली - The Ashoka Pillar Vaishali In Hindi
Image Source: Youtube\Harsh Video

यह स्तंभ बिहार राज्य के वैशाली में स्थित है। माना जाता है कि सम्राट अशोक कलिंग विजय (Kalinga Vijay) के बाद बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया था और वैशाली में एक अशोक स्तंभ बनवाया। चूंकि भगवान बुद्ध ने वैशाली में अपना अंतिम उपदेश (Last Preach) दिया था,उसी की याद में यह स्तंभ बनवाया गया था। वैशाली में स्थित यह अशोक स्तंभ अन्य स्तंभो से काफी अलग है। स्तंभ के शीर्ष पर त्रुटिपूर्ण तरीके से एक सिंह की आकृति बनी है जिसका मुंह उत्तर दिशा में है। इसे भगवान बुद्ध की अंतिम यात्रा की दिशा माना जाता है।स्तंभ के बगल में ईंट का बना एक स्तूप(Stup) और एक तालाब है, जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है। यह बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थान है।

4.4 अशोक स्तंभ दिल्ली – The Ashoka Pillar Delhi In Hindi

अशोक स्तंभ दिल्ली The Ashoka Pillar Delhi In Hindi
Image Source: Wikipedia

सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया एक और स्तंभ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला (Feroz Shah Kotla) में स्थित है। दिल्ली का यह अशोक स्तम्भ तीन शताब्दी ईसा पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में महान् सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। यह स्तम्भ 13.1 मीटर ऊंचा है और पॉलिश किए गये बलुआ पत्थर से निर्मित। अशोक ने इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। माना जाता है कि पहले यह स्तंभ मेरठ में स्थित था लेकिन फिरोज शाह तुगलक जब सन् 1364 के आसपास मेरठ आया तो इस स्तंभ की खूबसूरती देखकर मोहित हो गया। इसके बाद वह मेरठ में लगे इस अशोक स्तंभ को दिल्ली ले जाकर अपने किले(Fort) में स्थापित करवा लिया।

4.5 अशोक स्तंभ, सांची – Ashok Pillar, Sanchi In Hindi

अशोक स्तंभ, सांची - Ashok Pillar, Sanchi In Hindi

यह स्तंभ मध्यप्रदेश के सांची में स्थित है। इस स्तंभ को तीसरी शताब्दी में बनवाया गया था और इसकी संरचना ग्रीको बौद्ध शैली से प्रभावित है। सांची के प्राचीन इतिहास के अवशेष के रुप में यह स्तंभ आज भी मजबूत है और सदियों पुराना होने के बावजूद नवनिर्मित दिखाई देता है। यह सारनाथ स्तंभ से भी काफी मिलता जुलता है। सांची (Sanchi) स्थित अशोक स्तंभ के शीर्ष पर चार शेर बैठे हैं।

इसके अलावा निगाली सागर और रुम्मिनदेई, लुंबिनी नेपाल, रामपुरवा और लौरिया नंदनगढ़, चंपारण बिहार, लौरिया अराराज, चंपारण बिहार एवं अमरावती में भी अशोक के स्तंभ स्थित हैं।

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इस आर्टिकल में आपने महान सम्राट अशोक द्वारा निर्मित कराये गया अशोक स्तम्भों के बारे में जाना है आपको ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बतायें।

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